1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)
إِنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا لَن تُغْنِيَ عَنْهُمْ أَمْوَالُهُمْ وَلَا أَوْلَادُهُم مِّنَ اللَّهِ شَيْئًا ۖ وَأُولَٰئِكَ هُمْ وَقُودُ النَّارِ
2. अरबी शब्दों के अर्थ (Arabic Words Meaning)
إِنَّ الَّذِينَ (इन्नल्लज़ीना): बेशक जिन लोगों ने।
كَفَرُوا (कफरू): इनकार किया (कुफ्र किया)।
لَن تُغْنِيَ (लन तुग्निया): कभी बचा नहीं पाएंगी, लाभदायक नहीं होंगी।
عَنْهُمْ (अन्हुम): उनसे (उनके बचाव में)।
أَمْوَالُهُمْ (अम्वालुहुम): उनके धन।
وَلَا (वला): और न ही।
أَوْلَادُهُمْ (औलादुहुम): उनकी संतान।
مِّنَ اللَّهِ (मिनल्लाह): अल्लाह (की पकड़) से।
شَيْئًا (शैअन): कुछ भी (बिल्कुल भी नहीं)।
وَأُولَٰئِكَ (वा उलाइका): और वही लोग हैं।
هُمْ (हुम): वे।
وَقُودُ (वक़ूद): ईंधन।
النَّارِ (अन-नार): आग (जहन्नम) का।
3. पूर्ण व्याख्या (Full Explanation in Hindi)
यह आयत एक कड़ी चेतावनी का आरंभ है। पिछली आयतों में मोमिनीन की दुआ का वर्णन था, जो आखिरत के दिन के भय और आशा से भरी हुई थी। अब अल्लाह उन लोगों के भयानक परिणाम की ओर ध्यान दिला रहा है जिन्होंने सत्य को ठुकरा दिया।
इस आयत के दो मुख्य भाग हैं:
1. इन्नल्लज़ीना कफरू लन तुग्निया अन्हुम अम्वालुहुम वला औलादुहुम मिनल्लाहि शैआ (बेशक जिन लोगों ने इनकार किया, उनके धन और उनकी संतान अल्लाह (की पकड़) से कुछ भी नहीं बचा पाएंगे):
यहाँ एक बहुत बड़े भ्रम को तोड़ा जा रहा है। दुनिया में इंसान यह सोचता है कि उसकी दौलत और उसके बच्चे उसकी ताकत और सुरक्षा का स्रोत हैं। वह समझता है कि यही चीज़ें उसे किसी भी संकट से बचा लेंगी।
अल्लाह स्पष्ट करता है कि कयामत के दिन, जब उसकी पकड़ होगी, तो ये सारी दुनियावी ताकतें बेकार हो जाएंगी। न कोई रिश्वत काम आएगी, न सिफारिश, न ही कोई धन-दौलत। हर व्यक्ति अकेले अपने कर्मों के साथ खड़ा होगा।
2. वा उलाइका हुम वक़ूदुन-नार (और वही लोग जहन्नम की आग का ईंधन हैं):
यह आयत का सबसे कठोर और डरावना हिस्सा है। काफिरों का अंतिम ठिकाना जहन्नम की आग है।
"वक़ूद" (ईंधन) शब्द का प्रयोग बहुत ही सटीक और प्रभावशाली है। जिस तरह लकड़ी या कोयला आग का ईंधन बनकर जलता है, ठीक उसी तरह काफिर और उनके कर्म जहन्नम की आग का ईंधन बनेंगे। यह एक भयानक और दर्दनाक स्थिति की ओर इशारा करता है।
4. शिक्षा और सबक (Lesson and Moral)
दुनिया की झूठी सुरक्षा: इस आयत से सबसे बड़ी शिक्षा यह है कि इंसान को दुनिया की चीज़ों (धन-दौलत, पद, परिवार) पर घमंड नहीं करना चाहिए और न ही उन्हें अपनी सुरक्षा का एकमात्र साधन समझना चाहिए। असली सुरक्षा तो अल्लाह की अनुकंपा और ईमान है।
जीवन का वास्तविक लक्ष्य: इंसान को अपनी ऊर्जा और समय दुनिया जुटाने में ही नहीं लगाना चाहिए, बल्कि उसे आखिरत के लिए अमल करना चाहिए। क्योंकि आखिर में यही काम आएगा।
चेतावनी और सावधानी: यह आयत हर इंसान के लिए एक बड़ी चेतावनी है कि अगर वह ईमान और तौहीद से मुंह मोड़ेगा, तो उसका अंत बहुत ही भयानक होगा, चाहे उसके पास दुनिया की सारी दौलत क्यों न हो।
5. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future)
अतीत में प्रासंगिकता (Relevancy to the Past):
पैगंबर के समय के काफिर: मक्का के कुरैश नेताओं के पास बहुत धन-दौलत और संतानें थीं। अबू जहल, अबू लहब जैसे लोग अपनी सामाजिक हैसियत और धन के घमंड में इस्लाम का विरोध करते थे। यह आयत सीधे तौर पर उन्हें चेतावनी देती थी कि कयामत के दिन ये सब चीजें बेकार साबित होंगी।
पिछली कौमों का इतिहास: क़ुरआन में क़ौम-ए-नूह, आद, समूद और फिरऔन का वर्णन है, जो अपनी शक्ति और धन के मद में चूर होकर नष्ट हो गए। यह आयत उसी सामान्य नियम की पुष्टि करती है।
वर्तमान में प्रासंगिकता (Relevancy to the Present):
भौतिकवादी समाज: आज का समाज पूरी तरह से भौतिकवाद में डूबा हुआ है। लोगों का मुख्य लक्ष्य पैसा कमाना और ऐश्वर्यपूर्ण जीवन जीना बन गया है। यह आयत आज के इंसान को झझकोर कर जगाती है कि यह सब कुछ अस्थायी है और अंतिम सुरक्षा नहीं दे सकता।
अनैतिक तरीकों से धन कमाना: समाज में लोग गलत और हराम तरीकों से धन कमा रहे हैं, यह सोचकर कि पैसा ही सब कुछ है। यह आयत उन्हें याद दिलाती है कि यही धन कयामत के दिन उनके खिलाफ सबूत बनेगा और उन्हें अल्लाह की पकड़ से नहीं बचा पाएगा।
सामाजिक हैसियत का घमंड: जो लोग अपनी ऊँची जाति, बड़े परिवार या राजनीतिक ताकत पर घमंड करते हैं, उनके लिए यह आयत एक सबक है।
भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy to the Future):
शाश्वत सत्य: धन और संपत्ति का मोह और उस पर घमंड करना मानव स्वभाव है जो हर युग में रहेगा। यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी को यही चेतावनी देती रहेगी कि इन चीज़ों पर नाज़ न करें।
तकनीकी धन और सुरक्षा: भविष्य में डिजिटल करेंसी, क्रिप्टो करेंसी और AI के ज़रिए अथाह धन कमाया जा सकेगा। लोग शायद सोचेंगे कि यही उनकी सुरक्षा है। यह आयत उस समय भी उतनी ही प्रासंगिक होगी और यही सच्चाई बताएगी कि अल्लाह के सामने ये सब बेकार हैं।
अंतिम न्याय की तैयारी: यह आयत हमेशा मानवजाति को आखिरत के दिन के लिए तैयार रहने की प्रेरणा देगी और उन्हें दुनियावी मोह-माया के फंदे से बचाती रहेगी।
निष्कर्ष:
क़ुरआन 3:10 दुनियावी शक्ति की नश्वरता और आखिरत की सच्चाई को बहुत ही स्पष्ट और कठोर शब्दों में प्रस्तुत करती है। यह अतीत के घमंडी लोगों के लिए एक चेतावनी थी, वर्तमान के भौतिकवादी मानव के लिए एक झंझट है और भविष्य की हर पीढ़ी के लिए एक स्थायी मार्गदर्शक सिद्धांत है कि असली सफलता ईमान और नेक अमल में है, न कि धन और संतान में।