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कुरआन की आयत 3:107 की पूरी व्याख्या

 

﴿وَأَمَّا الَّذِينَ ابْيَضَّتْ وُجُوهُهُمْ فَفِي رَحْمَةِ اللَّهِ هُمْ فِيهَا خَالِدُونَ﴾

(Surah Aal-e-Imran, Ayat 107)


अरबी शब्दों के अर्थ (Arabic Words Meaning):

  • وَأَمَّا (Wa amma): और जिन (लोगों) के।

  • الَّذِينَ ابْيَضَّتْ وُجُوهُهُمْ (Allazeena abyaddat wujoohuhum): जिनके चेहरे उज्ज्वल हो गए।

  • فَفِي (Fa fee): तो वे (होंगे) में।

  • رَحْمَةِ اللَّهِ (Rahmatillah): अल्लाह की रहमत (दया) में।

  • هُمْ (Hum): वह (लोग)।

  • فِيهَا (Feeha): उस (रहमत) में।

  • خَالِدُونَ (Khaalidoon): सदैव रहने वाले हैं।


पूरी तफ्सीर (व्याख्या) और अर्थ (Full Explanation):

इस आयत का पूरा अर्थ है: "और जिन लोगों के चेहरे उज्ज्वल (चमकदार) होंगे, तो वे अल्लाह की रहमत में होंगे, वे उसमें सदैव रहेंगे।"

यह आयत पिछली आयत (3:106) में वर्णित दो समूहों में से दूसरे समूह – सफल लोगों – का परिणाम बताती है। पिछली आयत में काले चेहरों वालों के लिए दंड का वर्णन था, और यह आयत उज्ज्वल चेहरों वालों के लिए अनंत खुशियों की शुभ सूचना देती है।

1. "जिनके चेहरे उज्ज्वल होंगे":

  • ये वे लोग हैं जिन्होंने दुनिया में ईमान (विश्वास) और सालेह अमल (अच्छे कर्म) को अपनाया।

  • उनके चेहरे की चमक उनकी आंतरिक शुद्धता, खुशी, संतुष्टि और सफलता को दर्शाती है। यह चमक उनके ईमान, तकवा (अल्लाह का भय) और नेकी के प्रकाश से पैदा होती है।

2. "तो वे अल्लाह की रहमत में होंगे":

  • "अल्लाह की रहमत" यहाँ जन्नत (स्वर्ग) के लिए एक सुंदर शब्द है।

  • इसका मतलब यह है कि उन्हें जन्नत में स्थान मिलेगा, जो अल्लाह की दया और कृपा का सीधा परिणाम है, न कि केवल उनके अपने कर्मों का।

  • यह रहमत सिर्फ जन्नत में प्रवेश तक सीमित नहीं है, बल्कि वहाँ की सारी सुख-सुविधाएँ, शांति और अनंत आनंद भी इसमें शामिल है।

3. "वे उसमें सदैव रहेंगे":

  • "खालिदून" (सदैव रहने वाले) शब्द इस आयत की सबसे बड़ी खुशखबरी है।

  • इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि जन्नत की यह स्थिति अनंत काल तक रहेगी। यह कभी खत्म नहीं होगी। यहाँ न कोई मौत होगी, न बुढ़ापा, न थकान, और न ही कोई उदासी।


सबक और शिक्षा (Lesson and Guidance):

  • आशा और प्रोत्साहन: जिस तरह आयत 106 में डर का भाव था, उसी तरह यह आयत आशा और प्रोत्साहन का संदेश देती है। अल्लाह बंदों को डराने के साथ-साथ उन्हें अपनी दया का आश्वासन भी देता है।

  • अंतिम लक्ष्य: एक मुसलमान का अंतिम लक्ष्य अल्लाह की इसी रहमत को प्राप्त करना है, जो जन्नत के रूप में अनंत काल तक रहेगी।

  • कर्म का महत्व: चेहरे का उज्ज्वल होना दुनिया के कर्मों पर निर्भर करता है। इसलिए, इंसान को दुनिया में ही ईमान और अच्छे कर्मों पर मेहनत करनी चाहिए ताकि आखिरत में यह सफलता मिल सके।


अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future):

  • अतीत (Past) में: यह आयत पैगंबर मुहम्मद ﷺ और उनके साथियों के लिए एक बहुत बड़ा सहारा और प्रेरणा थी। मक्का के कठिन दौर में, जब उन पर जुल्म ढाए जा रहे थे, यह आयत उन्हें यह याद दिलाती थी कि उनकी कुरबानियों का अंतिम पुरस्कार अल्लाह की अनंत रहमत है। यह उनके संघर्ष और धैर्य को मजबूती प्रदान करती थी।

  • वर्तमान (Present) में: आज के दौर में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:

    • नैतिक प्रेरणा: आज के भौतिकवादी युग में, जहाँ लोग सिर्फ दुनियावी सफलता के पीछे भाग रहे हैं, यह आयत उन्हें असली और स्थायी सफलता की याद दिलाती है – जो अल्लाह की रहमत है।

    • कठिनाइयों में सहारा: जो लोग धर्म के मार्ग पर चलने के कारण मुश्किलों (आर्थिक, सामाजिक या मानसिक) का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह आयत एक ढाढस और सब्र की ताकत है। यह बताती है कि अंत में उनका इनाम अनमोल और हमेशा रहने वाला है।

    • आध्यात्मिक लक्ष्य: यह आयत हर मुसलमान को उसके जीवन का असली मकसद याद दिलाती है – अल्लाह की रज़ा और उसकी रहमत हासिल करना।

  • भविष्य (Future) के लिए: यह आयत कयामत तक आने वाले हर इंसान के लिए एक स्थायी आशा का स्रोत बनी रहेगी। यह हमेशा यह याद दिलाती रहेगी कि:

    • अल्लाह की रहमत ही सब कुछ है।

    • ईमान और नेकी का रास्ता ही एकमात्र ऐसा रास्ता है जो इस अनंत रहमत तक पहुँचाता है।

    • दुनिया की कठिनाइयाँ और त्याग अगर इस रास्ते पर किए जाएँ, तो वे अंत में इसी अनंत सुख में बदल जाएँगे।

यह आयत हर मुसलमान के दिल में यह दुआ पैदा करती है: "ऐ अल्लाह! हमें उन लोगों में शामिल कर लेना, जिनके चेहरे उज्ज्वल होंगे और तेरी रहमत में सदैव रहेंगे।"