1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)
الصَّابِرِينَ وَالصَّادِقِينَ وَالْقَانِتِينَ وَالْمُنفِقِينَ وَالْمُسْتَغْفِرِينَ بِالْأَسْحَارِ
2. अरबी शब्दों के अर्थ (Arabic Words Meaning)
الصَّابِرِينَ (अस-साबिरीन): धैर्य रखने वाले।
وَالصَّادِقِينَ (वस-सादिक़ीन): और सच्चे (ईमान और वचन में)।
وَالْقَانِتِينَ (वल-क़ानितीन): और आज्ञाकारी/इबादत करने वाले।
وَالْمُنفِقِينَ (वल-मुनफिक़ीन): और खर्च करने वाले (अल्लाह की राह में)।
وَالْمُسْتَغْفِرِينَ (वल-मुस्तग़फिरीन): और माफ़ी मांगने वाले।
بِالْأَسْحَارِ (बिल-असहार): सुबह-सवेरे (तahajjud के समय)।
3. पूर्ण व्याख्या (Full Explanation in Hindi)
यह आयत पिछली आयत (3:16) में ईमान और माफ़ी की दुआ करने वाले लोगों की विशेषताओं को और विस्तार से बताती है। अब अल्लाह उन "मुत्तक़ीन" (डर रखने वालों) के पांच ठोस गुणों की सूची दे रहा है जो उन्हें जन्नत का हकदार बनाते हैं।
ये पाँच गुण एक आदर्श मुसलमान के चरित्र-chitra का निर्माण करते हैं:
1. अस-साबिरीन (धैर्य रखने वाले):
यह सबसे पहला और मौलिक गुण है। "सब्र" का मतलब है हर परिस्थिति में अल्लाह के फैसले पर संतुष्ट रहना और उसकी मर्जी के आगे झुक जाना। इसमें तीन तरह का सब्र शामिल है:
मुसीबत पर सब्र: तकलीफ, बीमारी और नुकसान होने पर धैर्य रखना।
गुनाह से सब्र: नेकी और इबादत करते समय धैर्य रखना और गुनाहों से दूर रहने का सब्र।
आज्ञापालन में सब्र: अल्लाह के हुक्मों को मन से पूरा करने का सब्र।
2. वस-सादिक़ीन (सच्चे लोग):
यह गुण ईमान और अमल दोनों में सच्चाई की मांग करता है।
कल्ब की सच्चाई: दिल से पक्का ईमान।
जुबान की सच्चाई: हमेशा सच बोलना।
अमल की सच्चाई: अपने वादों, अनुबंधों और जिम्मेदारियों में सच्चे होना।
3. वल-क़ानितीन (आज्ञाकारी/इबादत करने वाले):
"क़ुनूत" का अर्थ है पूर्ण समर्पण और आज्ञाकारिता। यह गुण बताता है कि एक मोमिन अल्लाह की इबादत में लगा रहता है, नमाज़, रोज़ा आदि फर्ज इबादतों को नियमित रूप से अदा करता है और हमेशा अल्लाह के आगे विनम्र रहता है।
4. वल-मुनफिक़ीन (खर्च करने वाले):
यह गुण मोमिन की उदारता और दूसरों की भलाई की भावना को दर्शाता है। "इनफाक" का मतलब है अल्लाह की राह में अपना माल खर्च करना, चाहे वह ज़कात के रूप में हो या सदक़ा और दान के रूप में। यह गुण लालच और कंजूसी को दूर करता है।
5. वल-मुस्तग़फिरीन बिल-असहार (सुबह-सवेरे माफ़ी मांगने वाले):
यह गुण पिछली आयत (3:16) में बताई गई दुआ पर जोर देता है, लेकिन इसमें एक विशेष समय "अल-असहार" का उल्लेख है।
"अल-असहार" रात का आखिरी पहर होता है, जब लोग गहरी नींद में सो रहे होते हैं। इस वक्त की इबादत और इस्तिगफार बहुत ही मकबूल होती है। यह बताता है कि एक सच्चा मोमिन सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि अल्लाह से सच्चे लगाव के कारण, ठंड में रजाई छोड़कर और नींद कुर्बान करके अल्लाह से माफ़ी मांगता है।
4. शिक्षा और सबक (Lesson and Moral)
संपूर्ण चरित्र निर्माण: यह आयत मुसलमान को एक संपूर्ण चरित्र बनाने का रास्ता दिखाती है। सिर्फ इबादत या सिर्फ दान ही काफी नहीं है, बल्कि सब्र, सच्चाई, इबादत, दान और माफ़ी मांगना – सभी गुणों का एक साथ होना ज़रूरी है।
ईमान और अमल का मेल: ईमान सिर्फ दिल की चीज़ नहीं है, बल्कि वह अमल (कर्म) के रूप में दिखना चाहिए। ये पांचों गुण ईमान के अमली रूप हैं।
विशेष समय की अहमियत: अल्लाह ने इस्तिगफार के लिए "सुबह-सवेरे" के समय को विशेष रूप से चुना है। यह हमें सिखाता है कि अल्लाह के यहाँ कुछ समय और स्थितियाँ दूसरों से ज़्यादा फज़ीलत वाली हैं और हमें उनका फायदा उठाना चाहिए।
5. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future)
अतीत में प्रासंगिकता (Relevancy to the Past):
पैगंबर और सहाबा का जीवन: पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और आपके सहाबा का पूरा जीवन इन्हीं पांच गुणों की मिसाल था। उन्होंने मुसीबतों में सब्र किया, अपने ईमान और वचन में सच्चे रहे, लगातार इबादत करते रहे, अपना सब कुछ अल्लाह की राह में लुटा दिया और रातों को इस्तिगफार करते रहे।
वर्तमान में प्रासंगिकता (Relevancy to the Present):
आधुनिक मुसलमान के लिए चेकलिस्ट: आज का मुसलमान अक्सर भ्रम में रहता है कि एक अच्छे मुसलमान की पहचान क्या है। यह आयत उसके लिए एक स्पष्ट चेकलिस्ट (Checklist) है। वह खुद को इन पांच गुणों पर परख सकता है।
व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं का समाधान:
सब्र: तनाव और निराशा से लड़ने का हथियार।
सच्चाई: भ्रष्टाचार और झूठ से समाज की मुक्ति।
इबादत: आध्यात्मिक शांति और नैतिकता का स्रोत।
खर्च: आर्थिक असमानता को दूर करने का ज़रिया।
इस्तिगफार: गुनाहों के बोझ और पछतावे से मुक्ति।
भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy to the Future):
शाश्वत मानवीय गुण: ये पांचों गुण ऐसे हैं जो हर युग और हर समाज में एक आदर्श इंसान के लिए ज़रूरी रहेंगे। चाहे दुनिया कितनी भी तरक्की कर ले, सब्र, सच्चाई, समर्पण, उदारता और पश्चाताप की आवश्यकता कभी खत्म नहीं होगी।
भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी: भविष्य की तकनीकी और नैतिक चुनौतियों का सामना करने के लिए, मुसलमान को एक मजबूत चरित्र की जरूरत होगी। यह आयत उसे वही चरित्र-बल प्रदान करेगी।
निष्कर्ष:
क़ुरआन 3:17 एक आदर्श मुसलमान के चरित्र-चित्रण को प्रस्तुत करती है। यह सिर्फ एक सूची नहीं है, बल्कि जन्नत पाने के लिए एक प्रैक्टिकल गाइड है। यह अतीत के लिए एक मॉडल थी, वर्तमान के लिए एक मार्गदर्शक है और भविष्य के लिए एक शाश्वत आदर्श है। यह आयत हर मुसलमान से कहती है कि तुम्हारा लक्ष्य सिर्फ इबादत करना ही नहीं, बल्कि एक संपूर्ण और संतुलित चरित्र का निर्माण करना है।