Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 3:197 की पूरी व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

مَتَاعٌ قَلِيلٌ ثُمَّ مَأْوَاهُمْ جَهَنَّمُ ۚ وَبِئْسَ الْمِهَادُ

2. आयत का शाब्दिक अर्थ (Word-to-Word Meaning)

  • مَتَاعٌ : फायदा/सामान

  • قَلِيلٌ : थोड़ा

  • ثُمَّ : फिर

  • مَأْوَاهُمْ : उनका ठिकाना

  • جَهَنَّمُ : जहन्नम है

  • ۚ وَبِئْسَ : और कितना बुरा है

  • الْمِhَادُ : बिछौना/आरामगाह

3. सरल अर्थ (Simple Meaning in Hindi)

"(यह दुनिया का लाभ) थोड़े दिन का फायदा है, फिर उनका ठिकाना जहन्नम है, और कितना बुरा आरामगाह है।"


4. आयत की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ (Context)

यह आयत पिछली आयत (3:196) का ही विस्तार है जहाँ काफिरों की सांसारिक सफलता को धोखा बताया गया था। अब अल्लाह स्पष्ट करता है कि यह दुनिया का लाभ बहुत थोड़े समय के लिए है और आखिर में उनका स्थायी ठिकाना जहन्नम की आग होगी।


5. आयत से सीख (Lesson from the Verse)

यह आयत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है:

  1. दुनिया की हकीकत: दुनिया का सुख और लाभ बहुत थोड़े समय के लिए है

  2. आखिरत का भय: काफिरों का अंतिम ठिकाना जहन्नम है

  3. सच्ची सफलता: असली सफलता आखिरत की सफलता है

  4. चेतावनी: दुनिया के धोखे में न आने की चेतावनी


6. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

वर्तमान में प्रासंगिकता :

आज के संदर्भ में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:

  • भौतिकवाद का भ्रम: आज का इंसान पैसे, शोहरत और ऐश्वर्य के पीछे भाग रहा है। यह आयत याद दिलाती है कि यह सब थोड़े समय का फायदा है।

  • युवाओं के लिए सबक: आज के युवा दुनियावी सफलता को ही सब कुछ मानते हैं। यह आयत उन्हें समझाती है कि असली जीवन तो आखिरत का है।

  • नैतिक मूल्य: जब लोग गलत तरीके से धन कमाते हैं और पाप करते हैं, यह आयत उन्हें चेतावनी देती है कि उनका अंत बहुत बुरा होगा।

  • आध्यात्मिक जागरूकता: यह आयत हमें याद दिलाती है कि हमें हमेशा आखिरत को याद रखना चाहिए और दुनिया के धोखे में नहीं आना चाहिए।

भविष्य के लिए संदेश:

  • यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थाई मार्गदर्शक है कि "दुनिया का सुख थोड़े समय का है और आखिरत का जीवन ही स्थाई है।" भविष्य में चाहे दुनिया कितनी भी आधुनिक क्यों न हो जाए, यह सत्य सदैव प्रासंगिक रहेगा।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 3:197 दुनिया और आखिरत के बीच के अंतर को स्पष्ट करती है। यह न केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण है, बल्कि हर युग के इंसान के लिए एक व्यावहारिक जीवन-शिक्षा है। यह हमें सिखाती है कि दुनिया का लाभ थोड़े समय के लिए है, जबकि काफिरों का अंतिम ठिकाना जहन्नम है जो कितना बुरा आरामगाह है। यह आयत आज के भौतिकवादी युग में हमारे लिए एक सचेतक का काम करती है और हमें सही दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देती है। हमें दुनिया के थोड़े से फायदे के लिए आखिरत नहीं गंवानी चाहिए।