Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 3:199 की पूरी व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

وَإِنَّ مِنْ أَهْلِ الْكِتَابِ لَمَن يُؤْمِنُ بِاللَّهِ وَمَا أُنزِلَ إِلَيْكُمْ وَمَا أُنزِلَ إِلَيْهِمْ خَاشِعِينَ لِلَّهِ لَا يَشْتَرُونَ بِآيَاتِ اللَّهِ ثَمَنًا قَلِيلًا ۗ أُولَٰئِكَ لَهُمْ أَجْرُهُمْ عِندَ رَبِّهِمْ ۗ إِنَّ اللَّهَ سَرِيعُ الْحِسَابِ

2. आयत का शाब्दिक अर्थ (Word-to-Word Meaning)

  • وَإِنَّ : और निश्चय ही

  • مِنْ أَهْلِ الْكِتَابِ : किताब वालों में से

  • لَمَن يُؤْمِنُ : कुछ ऐसे हैं जो ईमान लाते हैं

  • بِاللَّهِ : अल्लाह पर

  • وَمَا أُنزِلَ إِلَيْكُمْ : और जो उतारा गया तुम्हारी ओर

  • وَمَا أُنزِلَ إِلَيْهِمْ : और जो उतारा गया उनकी ओर

  • خَاشِعِينَ : विनम्र होकर

  • لِلَّهِ : अल्लाह के लिए

  • لَا يَشْتَرُونَ : वे नहीं खरीदते

  • بِآيَاتِ اللَّهِ : अल्लाह की आयतों के बदले

  • ثَمَنًا قَلِيلًا : थोड़ी सी कीमत

  • ۗ أُولَٰئِكَ : वे लोग

  • لَهُمْ أَجْرُهُمْ : उनके लिए है उनका बदला

  • عِندَ رَبِّهِمْ : उनके रब के पास

  • ۗ إِنَّ اللَّهَ : निश्चय ही अल्लाह

  • سَرِيعُ الْحِسَابِ : जल्दी हिसाब लेने वाला है

3. सरल अर्थ (Simple Meaning in Hindi)

"और निश्चय ही किताब वालों (यहूदियों और ईसाइयों) में से कुछ ऐसे हैं जो अल्लाह पर ईमान लाते हैं और जो कुछ तुम्हारी ओर उतारा गया है और जो कुछ उनकी ओर उतारा गया था, उस पर ईमान लाते हैं, अल्लाह के सामने विनम्र होकर। वे अल्लाह की आयतों के बदले थोड़ी सी कीमत नहीं लेते। उनके लिए उनका बदला उनके रब के पास है। निश्चय ही अल्लाह जल्दी हिसाब लेने वाला है।"


4. आयत की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ (Context)

यह आयत उन यहूदी और ईसाई विद्वानों के बारे में है जिन्होंने सत्य को पहचाना और पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर ईमान ले आए। ऐसे लोगों में अब्दुल्लाह बिन सलाम और उनके साथी शामिल थे। यह आयत दर्शाती है कि हर समुदाय में सत्य को स्वीकार करने वाले लोग होते हैं।


5. आयत से सीख (Lesson from the Verse)

यह आयत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है:

  1. सत्य का स्वीकार: हर धर्म के लोग सत्य को स्वीकार कर सकते हैं

  2. विनम्रता: ईमान की सच्ची भावना विनम्रता है

  3. ईमानदारी: धार्मिक ज्ञान को दुनियावी लाभ के लिए नहीं बेचना

  4. इन्साफ: अल्लाह हर किसी के इमान और कर्मों को देखता है


6. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

वर्तमान में प्रासंगिकता :

आज के संदर्भ में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:

  • अंतर्धार्मिक संवाद: आज विभिन्न धर्मों के बीच संवाद के समय यह आयत हमें सिखाती है कि हर धर्म में सत्य को स्वीकार करने वाले लोग मिलेंगे।

  • धार्मिक सहिष्णुता: इस आयत से हमें सीख मिलती है कि दूसरे धर्मों के लोगों के प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए।

  • ईमानदार विद्वानों के लिए प्रोत्साहन: आज भी कई गैर-मुस्लिम विद्वान इस्लाम की सत्यता को स्वीकार कर रहे हैं। यह आयत उनके लिए प्रोत्साहन है।

  • युवाओं के लिए सबक: आज के युवाओं को यह आयत सिखाती है कि सत्य को स्वीकार करने में कभी संकोच नहीं करना चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म से आए।

भविष्य के लिए संदेश:

  • यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थाई मार्गदर्शक है कि "सत्य हर जगह पाया जाता है और उसे स्वीकार करने वालों के लिए अल्लाह के पास बदला तैयार है।" भविष्य में चाहे दुनिया कितनी भी आधुनिक क्यों न हो जाए, यह सिद्धांत सदैव प्रासंगिक रहेगा।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 3:199 विभिन्न धर्मों के लोगों के प्रति इस्लाम के उदार दृष्टिकोण को दर्शाती है। यह न केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण है, बल्कि हर युग के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा है। यह हमें सिखाती है कि यहूदियों और ईसाइयों में भी ऐसे लोग हैं जो सत्य को पहचानते हैं और अल्लाह पर, कुरआन पर और अपनी किताबों पर ईमान लाते हैं। ऐसे लोग विनम्र होते हैं और अल्लाह की आयतों के बदले दुनिया की थोड़ी सी कीमत नहीं लेते। उनके लिए अल्लाह के पास पूरा बदला है और अल्लाह जल्द हिसाब लेने वाला है। यह आयत आज के युग में अंतर्धार्मिक सद्भाव और सहिष्णुता के लिए एक मार्गदर्शक का काम करती है।