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क़ुरआन की आयत 3:33 की पूर्ण व्याख्या

 

1. पूरी आयत अरबी में:

إِنَّ اللَّهَ اصْطَفَىٰ آدَمَ وَنُوحًا وَآلَ إِبْرَاهِيمَ وَآلَ عِمْرَانَ عَلَى الْعَالَمِينَ

2. आयत का शब्द-दर-शब्द अर्थ (Word-to-Word Meaning):

  • إِنَّ (इन्न): निश्चित रूप से, बेशक।

  • اللَّهَ (अल्लाह): अल्लाह ने।

  • اصْطَفَىٰ (इसतफ़ा): चुन लिया, पसन्द किया।

  • آدَمَ (आदम): आदम (अलैहिस्सलाम) को।

  • وَنُوحًا (व-नूहन): और नूह (अलैहिस्सलाम) को।

  • وَآلَ (व-आला): और परिवार/वंश को।

  • إِبْرَاهِيمَ (इब्राहीम): इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के।

  • وَآلَ (व-आला): और परिवार/वंश को।

  • عِمْرَانَ (इमरान): इमरान के।

  • عَلَى (अला): पर।

  • الْعَالَمِينَ (अल-आलमीन): सारे संसार वालों (के मुकाबले में)।

3. आयत का पूरा अर्थ (Full Translation):

"निश्चित रूप से अल्लाह ने आदम, नूह, इब्राहीम के परिवार और इमरान के परिवार को सारे संसार (के लोगों) पर चुन लिया (विशेष महत्व दिया)।"


4. पूर्ण व्याख्या और तफ्सीर (Full Explanation & Tafseer):

यह आयत पिछली आयतों के संदर्भ में आती है, जहाँ अल्लाह और रसूल की आज्ञा मानने का आदेश दिया गया है। यह आयत बताती है कि अल्लाह ने अपने दीन (धर्म) को आगे बढ़ाने और लोगों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत बनने के लिए हमेशा से ही कुछ व्यक्तियों और परिवारों को चुना है।

  • चयन का आधार (Basis of Selection): अल्लाह का "चुनना" (इसतफ़ा) यह दिखाता है कि यह महान सम्मान उसकी ओर से एक विशेष दया है। यह चुनाव उन लोगों की व्यक्तिगत योग्यता, अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण और उसकी आज्ञाओं का पालन करने के कारण हुआ। यह किसी जाति या नस्ल के आधार पर नहीं, बल्कि तक़्वा (ईश्वर-भय) और ईमान के आधार पर था।

  • चुने हुए लोग (The Chosen Ones):

    • आदम (अलैहिस्सलाम): ये पहले इंसान और पहले पैगंबर हैं। उन्हें फरिश्तों पर भी श्रेष्ठता दी गई और उन्हें खलीफ़ा (पृथ्वी पर अल्लाह का प्रतिनिधि) बनाया गया।

    • नूह (अलैहिस्सलाम): उन्हें "दूसरे आदम" कहा जाता है। उन्होंने बेहद अवज्ञाकारी कौम में लंबे समय तक दावत दी और उन्हें महान विनाश से बचाया गया।

    • आल-ए-इब्राहीम (इब्राहीम का परिवार): यहाँ "आल" का मतलब सिर्फ खून के रिश्तेदार नहीं, बल्कि उनके आध्यात्मिक और धार्मिक वंशज हैं, जिनमें इस्माइल, इसहाक, याकूब, यूसुफ और मूसा जैसे बड़े पैगंबर शामिल हैं।

    • आल-ए-इमरान (इमरान का परिवार): इमरान, मरयम (मदर मैरी) के पिता थे। इस परिवार में हज़रत मरयम, हज़रत जकरिया और उनके बेटे हज़रत यह्या (जॉन द बैप्टिस्ट) जैसे पवित्र लोग हुए। इस परिवार की सबसे बड़ी विशेषता हज़रत ईसा (ईसा मसीह) का जन्म था, जो बिना पिता के पैदा हुए थे।

  • "सारे संसार पर" (Over the Worlds): यह वाक्यांश इस चयन की महानता को दर्शाता है। ये पैगंबर और उनके परिवार अपने समय के सभी लोगों में ज्ञान, ईमान, धैर्य और अल्लाह की इबादत में सबसे श्रेष्ठ थे।


5. सीख और शिक्षा (Lesson & Moral):

  1. मेहनत और समर्पण का महत्व: अल्लाह के यहाँ कोई महत्वपूर्ण स्थान बिना मेहनत और समर्पण के हासिल नहीं होता। इन पैगंबरों ने अल्लाह की राह में बड़ी-बड़ी कठिनाइयाँ झेली, इसलिए अल्लाह ने उन्हें चुना।

  2. ऊँच-नीच का खंडन: इस आयत से साबित होता है कि अल्लाह के यहाँ किसी की हैसियत उसके काम और ईमान से है, न कि उसके खानदान या रंग-रूप से। कोई भी व्यक्ति अच्छे कर्मों से अल्लाह के नजदीक हो सकता है।

  3. परिवार की जिम्मेदारी: एक पवित्र परिवार में पैदा होना सौभाग्य की बात है, लेकिन यह जन्नत की गारंटी नहीं है। हर व्यक्ति को अपने कर्मों के लिए जवाबदेह होना है।

  4. एकता का संदेश: यह आयत यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों को याद दिलाती है कि उनके सभी पैगंबर एक ही स्रोत (अल्लाह) से आए हैं और सभी एक ही बुनियादी संदेश (एकेश्वरवाद) लेकर आए हैं।


6. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present & Future):

  • अतीत में (In the Past):

    • यहूदियों और ईसाइयों के लिए चेतावनी: जब यह आयत उतरी, तो मदीना के यहूदी और ईसाई स्वयं को "अल्लाह की चुनी हुई संतान" समझते थे और दूसरों को हेय दृष्टि से देखते थे। यह आयत उन्हें बताती है कि अल्लाह का चुनाव सिर्फ एक जाति या समुदाय तक सीमित नहीं है। उसने दूसरों को भी चुना है।

    • मुसलमानों के लिए प्रोत्साहन: यह आयत नए मुसलमानों को यह विश्वास दिलाती है कि वे भी अल्लाह की कृपा के पात्र बन सकते हैं और उनका धर्म भी उसी सच्चे धर्म की निरंतरता है जिसे इन महान पैगंबर लेकर आए।

  • वर्तमान में (In the Present):

    • सांप्रदायिक संकीर्णता का इलाज: आज भी कई धार्मिक समुदाय यह दावा करते हैं कि केवल वही "चुने हुए" लोग हैं और बाकी सब गुमराह। यह आयत इस संकीर्ण सोच का खंडन करती है और अंत-धार्मिक संवाद को बढ़ावा देती है।

    • व्यक्तिगत प्रेरणा: आज का मुसलमान जब अपने ईमान को कमजोर पाता है, तो यह आयत उसे उन महान हस्तियों के जीवन से प्रेरणा लेने को कहती है जिन्होंने अल्लाह के मार्ग में हर कठिनाई झेली।

    • जातिवाद और नस्लवाद का खंडन: आज की दुनिया जाति, रंग और नस्ल के आधार पर बंटी हुई है। यह आयत स्पष्ट करती है कि अल्लाह के यहाँ सबसे इज्जतवाला वह है जो सबसे ज्यादा परहेजगार (मुत्तकी) है।

  • भविष्य के लिए (For the Future):

    • शाश्वत मार्गदर्शन: यह आयत भविष्य की सभी पीढ़ियों के लिए एक स्थायी सिद्धांत स्थापित करती है कि महानता और सम्मान का रास्ता ईमान और अमल-ए-सालेह (अच्छे कर्म) से होकर गुजरता है।

    • आशा का संदेश: भविष्य में जब भी लोग यह सोचेंगे कि वे अल्लाह से दूर हो गए हैं या उनसे गलती हो गई है, तो यह आयत उन्हें आशा देगी। आदम (अलैहिस्सलाम) से भी गलती हुई, लेकिन उन्होंने तौबा (पश्चाताप) की और अल्लाह ने उन्हें चुना। यह संदेश हमेशा प्रासंगिक रहेगा कि अल्लाह की दया हमेशा उन लोगों के लिए तैयार है जो उसकी ओर लौटते हैं।

निष्कर्ष: कुरआन 3:33 एक ऐतिहासिक आयत नहीं है, बल्कि एक जीवंत सिद्धांत है। यह मानव जाति को उसके असली मानदंड (ईमान और तक़्वा) की याद दिलाती है और हर युग में इंसान को अल्लाह के नजदीक होने का रास्ता दिखाती है।