﴿وَمَكَرُوا وَمَكَرَ اللَّهُ ۖ وَاللَّهُ خَيْرُ الْمَاكِرِينَ﴾
(Surah Aal-e-Imran, Ayat: 54)
अरबी शब्दों के अर्थ (Arabic Words Meaning):
وَمَكَرُوا (Wa Makaroo): और उन्होंने (काफिरों ने) छल-योजना बनाई।
وَمَكَرَ اللَّهُ (Wa Makaral-Laahu): और अल्लाह ने (उनकी योजना को) विफल करने की योजना बनाई।
وَاللَّهُ خَيْرُ الْمَاكِرِينَ (Wallaahu Khairul-Maakireen): और अल्लाह सबसे श्रेष्ठ योजनाकार है।
पूरी व्याख्या (Full Explanation in Hindi):
यह आयत हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) के विरोधियों की साजिश और अल्लाह की दिव्य व्यवस्था के बीच टकराव का वर्णन करती है। जब हवारियों ने ईमान लाने और हज़रत ईसा का साथ देने की घोषणा कर दी, तो काफिरों (इनकार करने वालों) ने उन्हें और हज़रत ईसा को खत्म करने के लिए एक घिनौनी साजिश रची।
"और उन्होंने छल-योजना बनाई (व मकरू)": यहाँ "मक्र" का मतलब है गुप्त रूप से कोई बुरी चाल चलना, षड्यंत्र रचना। हज़रत ईसा के दुश्मनों ने तय किया कि उन्हें सूली पर चढ़ाकर मार डाला जाए, ताकि उनका संदेश हमेशा के लिए खत्म हो जाए। यह इंसानी षड्यंत्र और बुराई की चरम सीमा थी।
"और अल्लाह ने (उनकी योजना को) विफल करने की योजना बनाई (व मकरल्लाह)": अल्लाह ने भी एक "योजना" बनाई। अल्लाह की योजना का मतलब उनकी दिव्य व्यवस्था और बुद्धिमत्ता से है। अल्लाह ने हज़रत ईसा को बचा लिया और उन्हें आसमान पर उठा लिया (जैसा कि सूरह अन-निसा, आयत 157-158 में स्पष्ट है)। उनकी हत्या की योजना पूरी तरह विफल हो गई। दुश्मनों को भ्रम में डाल दिया गया और वे किसी और को सूली पर चढ़ा दिया।
"और अल्लाह सबसे श्रेष्ठ योजनाकार है (वल्लाहु खैरुल माकिरीन)": यह वाक्य अल्लाह की सर्वोच्च शक्ति और बुद्धिमत्ता की घोषणा है। अल्लाह की "योजना" किसी छल या धोखे की नहीं, बल्कि न्याय और हिक्मत (तत्वदर्शिता) से भरी हुई है। वह दुष्टों की सभी योजनाओं को उलटकर रख देता है और अपने नेक बन्दों की रक्षा करता है।
सीख और शिक्षा (Lesson and Moral):
अल्लाह की सुरक्षा पर भरोसा: सच्चे ईमान वालों को चाहिए कि वह दुश्मनों की साजिशों से घबराएँ नहीं। अल्लाह अपने नेक बन्दों की रक्षा के लिए ऐसे तरीके अपनाता है जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।
बुराई की सीमा: बुरे लोग हमेशा सच्चाई को दबाने के लिए साजिशें रचेंगे, लेकिन अंतिम विजय हमेशा सत्य की ही होती है। अल्लाह बुराई को उसी की चाल में फंसा देता है।
अल्लाह की हिक्मत: अल्लाह की योजना सबसे बेहतरीन होती है। कभी-कभी वह तुरंत बचाव नहीं करता, लेकिन उसकी दिव्य व्यवस्था एक लंबे समय में सबसे बेहतर नतीजा लेकर आती है।
अतीत, वर्तमान और भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future):
अतीत (Past) के लिए: हज़रत ईसा के समय में, यह घटना उन लोगों के लिए एक सबक थी जो सोचते थे कि उन्होंने हज़रत ईसा को हरा दिया है। वास्तव में, अल्लाह ने उनकी योजना को पलट दिया और हज़रत ईसा को बचा लिया, जिससे उनका संदेश हमेशा के लिए जीवित रहा।
वर्तमान (Present) के लिए: आज के दौर में यह आयत अत्यधिक प्रासंगिक है:
मुसलमानों के लिए सांत्वना: दुनिया भर में जहाँ कहीं भी मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है या उनके खिलाफ साजिशें रची जा रही हैं, यह आयत उन्हें धैर्य और अल्लाह पर भरोसा रखने की ताकत देती है।
नैतिक जीत: यह आयत हमें सिखाती है कि असली जीत दुनिया की सत्ता पाना नहीं, बल्कि अल्लाह की रज़ा में अपने ईमान और सिद्धांतों पर डटे रहना है। हज़रत ईसा को दुनिया से हटा दिया गया, लेकिन उनका ईमान जीत गया।
ईश-निंदा के आरोप: हज़रत ईसा के साथ जो हुआ, वह आज भी उन लोगों के लिए एक सबक है जो पैगंबरों और पवित्र चीजों के खिलाफ झूठे आरोप लगाते हैं।
भविष्य (Future) के लिए: यह आयत कयामत तक हर युग के ईमान वालों के लिए एक "आशा और विश्वास का स्रोत" बनी रहेगी। जब भी ताकतवर लोग कमजोरों के खिलाफ साजिश रचेंगे, यह आयत यह याद दिलाती रहेगी कि "अल्लाह सबसे श्रेष्ठ योजनाकार है।" उसकी योजना हमेशा अंत में प्रकट होती है और सत्य की जीत सुनिश्चित करती है। यह आयत दर्शाती है कि अल्लाह का इंसाफ दुनिया में भी काम करता है।