(1) पूरी आयत अरबी में:
"يَا أَيُّهَا النَّاسُ قَدْ جَاءَكُم بُرْهَانٌ مِّن رَّبِّكُمْ وَأَنزَلْنَا إِلَيْكُمْ نُورًا مُّبِينًا"
(2) आयत के शब्दों के अर्थ (Word-by-Word Meaning):
يَا أَيُّهَا (Yā ayyuhā): हे ऐसे लोगों!
النَّاسُ (An-nāsu): लोगों (इंसानों)!
قَدْ (Qad): निश्चित रूप से।
جَاءَكُم (Jā'akum): आ चुका है तुम्हारे पास।
بُرْهَانٌ (Burhānun): एक सबूत, एक दलील।
مِّن (Min): से।
رَّبِّكُمْ (Rabbikum): तुम्हारे पालनहार।
وَأَنزَلْنَا (Wa anzalnā): और हमने उतारा है।
إِلَيْكُمْ (Ilaykum): तुम्हारी ओर।
نُورًا (Nūran): एक प्रकाश।
مُّبِينًا (Mubīnan): स्पष्ट, साफ।
(3) आयत का पूरा अर्थ और संदर्भ:
यह आयत सूरह अन-निसा के एक महत्वपूर्ण खंड का समापन करते हुए एक सार्वभौमिक और शक्तिशाली घोषणा है। पिछली आयतों में अहले-किताब (यहूदियों और ईसाइयों) को उनकी गलत मान्यताओं से रोका गया था और उन्हें सही रास्ता दिखाया गया था। अब यह आयत पूरी मानवजाति को संबोधित करते हुए कहती है कि तुम्हारे पास सच्चाई का स्पष्ट और अकाट्य प्रमाण आ चुका है।
आयत का भावार्थ: "ऐ लोगों! तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से एक स्पष्ट सबूत आ चुका है और हमने तुम्हारी ओर एक स्पष्ट प्रकाश उतारा है।"
(4) विस्तृत व्याख्या और शिक्षा (Tafseer):
यह आयत दो शक्तिशाली शब्दों का प्रयोग करती है जो कुरआन और पैगम्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के मिशन की प्रकृति को दर्शाते हैं।
"बुरहानुम मिन रब्बिकुम" (तुम्हारे रब की ओर से एक सबूत):
बुरहान का अर्थ है एक ऐसा स्पष्ट, अकाट्य और तर्कसंगत प्रमाण जो सच्चाई को स्थापित कर दे और झूठ को नष्ट कर दे।
यह सबूत पैगम्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का व्यक्तित्व, कुरआन की चुनौती, उनके चमत्कार और भविष्यवाणियाँ हैं। यह वह दलील है जो हर संदेह को दूर कर देती है।
"वा अन्जलना इलैकुम नूरम मुबीना" (और हमने तुम्हारी ओर एक स्पष्ट प्रकाश उतारा है):
नूर (प्रकाश) का अर्थ है कुरआन।
जिस तरह अंधेरे में प्रकाश रास्ता दिखाता है, उसी तरह कुरआन जीवन के अंधेरों, शंकाओं और गुमराहियों में सच्चाई का रास्ता दिखाता है।
"मुबीन" (स्पष्ट) शब्द जोर देकर कहता है कि यह प्रकाश धुंधला या अस्पष्ट नहीं है। यह इतना साफ और स्पष्ट है कि कोई भी इसे समझ सकता है।
(5) शिक्षा और सबक (Lesson):
कुरआन सर्वोच्च मार्गदर्शन: कुरआन अल्लाह की ओर से मानवजाति के लिए अंतिम और पूर्ण मार्गदर्शन है। यह कोई साधारण किताब नहीं, बल्कि एक "बुरहान" (प्रमाण) और "नूर" (प्रकाश) है।
सत्य स्पष्ट हो चुका है: अब सत्य और असत्य के बीच कोई भ्रम नहीं रह गया है। अल्लाह ने मार्गदर्शन को इतना स्पष्ट कर दिया है कि अब गुमराही का कोई बहाना नहीं है।
सार्वभौमिक संदेश: इस्लाम का संदेश सिर्फ किसी एक जाति या समुदाय के लिए नहीं, बल्कि पूरी "मानवजाति" के लिए है।
(6) अतीत, वर्तमान और भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy):
अतीत (Past) में: यह आयत उस समय के सभी लोगों - अरब के मुश्रिकों, यहूदियों, ईसाइयों - के लिए एक स्पष्ट घोषणा थी कि अब उनके पास सच्चाई का सबसे बड़ा प्रमाण (कुरआन और पैगम्बर) आ चुका है।
समकालीन वर्तमान (Contemporary Present) में: आज यह आयत बेहद प्रासंगिक है।
तार्किक दावत: आज जब लोग विज्ञान और तर्क की मांग करते हैं, यह आयत बताती है कि इस्लाम "बुरहान" (तर्क और प्रमाण) पर आधारित है। कुरआन की वैज्ञानिक आयतें, इसकी ऐतिहासिक सत्यता और इसकी चमत्कारिक संरचना ही उसका "बुरहान" है।
अंधकार में प्रकाश: आज का समाज भौतिकवाद, अवसाद, नैतिक पतन और आध्यात्मिक शून्यता के अंधकार में भटक रहा है। कुरआन वह "नूर-ए-मुबीन" (स्पष्ट प्रकाश) है जो इन सभी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है।
भ्रम का अंत: इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस युग में तरह-तरह की विचारधाराएं और गुमराहियां फैली हुई हैं। यह आयत हर इंसान को आमंत्रित करती है कि वह इस भ्रम के समुद्र में कुरआन के स्पष्ट प्रकाश की शरण ले।
भविष्य (Future) में: जब तक दुनिया कायम है, मानवजाति सत्य की खोज करती रहेगी। यह आयत कयामत तक सभी इंसानों के लिए एक स्थायी घोषणा बनी रहेगी कि सत्य का अकाट्य प्रमाण और जीवन का स्पष्ट प्रकाश (कुरआन) तुम्हारे पास उपलब्ध है। यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी को यह याद दिलाती रहेगी कि उनके पास अल्लाह की ओर से कोई बहाना नहीं है।
निष्कर्ष: सूरह अन-निसा की यह आयत इस बात पर मुहर लगाती है कि अल्लाह ने मानवजाति पर अपना पक्ष पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है। यह आयत कुरआन की शान और उसकी भूमिका को दर्शाती है। यह हमें बताती है कि कुरआन सिर्फ एक किताब नहीं है, बल्कि वह तर्क है, प्रमाण है और अंधकार में चमकता हुआ सूरज है। एक मुसलमान का फर्ज है कि वह इस "बुरहान" और "नूर" को पकड़े, उससे प्रकाशित हो और दुनिया को भी इसकी रोशनी से रोशन करे।