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कुरआन की आयत 4:74 की पूरी व्याख्या

 

﴿فَلْيُقَاتِلْ فِي سَبِيلِ اللَّهِ الَّذِينَ يَشْرُونَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا بِالْآخِرَةِ ۚ وَمَن يُقَاتِلْ فِي سَبِيلِ اللَّهِ فَيُقْتَلْ أَوْ يَغْلِبْ فَسَوْفَ نُؤْتِيهِ أَجْرًا عَظِيمًا﴾

(अरबी आयत)


शब्दार्थ (Meaning of Words):

  • فَلْيُقَاتِلْ: तो लड़े (जिहाद करे)

  • فِي سَبِيلِ اللَّهِ: अल्लाह की राह में

  • الَّذِينَ: वे लोग

  • يَشْرُونَ: बेच देते हैं, कुरबान कर देते हैं

  • الْحَيَاةَ الدُّنْيَا: दुनिया की ज़िंदगी

  • بِالْآخِرَةِ: आख़िरत के बदले में

  • وَمَن يُقَاتِلْ: और जो कोई लड़े

  • فَيُقْتَلْ: फिर मारा जाए

  • أَوْ يَغْلِبْ: या विजयी हो

  • فَسَوْفَ نُؤْتِيهِ: तो हम अवश्य देंगे उसे

  • أَجْرًا عَظِيمًا: बहुत बड़ा बदला


सरल अर्थ (Simple Meaning):

"तो अल्लाह की राह में उन लोगों को लड़ना चाहिए, जो दुनिया की ज़िंदगी को आख़िरत के बदले में बेच देते हैं। और जो कोई अल्लाह की राह में लड़े, फिर (चाहे) मारा जाए या विजयी हो, तो हम उसे जल्द ही एक बहुत बड़ा बदला देंगे।"


आयत का सन्देश और शिक्षा (Lesson from the Verse):

यह आयत सच्चे मोमिनों के लिए एक शक्तिशाली प्रेरणा और आश्वासन है, जो उन्हें मुनाफिकों (पाखंडियों) के विपरीत खड़ा करती है:

  1. लाभदायक व्यापार: यह आयत जीवन को एक व्यापार के रूप में पेश करती है। सच्चा मोमिन वह है जो क्षणभंगुर दुनिया को स्थाई आख़िरत के बदले में बेच देता है। यह दुनिया का सबसे लाभदायक सौदा है।

  2. सच्चे जिहाद की पहचान: जिहाद सिर्फ लड़ाई नहीं है, बल्कि एक मनोदृष्टि है। यह उस व्यक्ति का कार्य है जिसने पहले ही अपने दिल में दुनिया को आख़िरत के आगे कुरबान कर दिया है।

  3. दोहरी सफलता का वादा: अल्लाह सच्चे मोमिन को दोनों ही स्थितियों में सफलता का वादा करता है:

    • यदि शहीद हो गया: तो उसने सीधे जन्नत खरीद ली।

    • यदि विजयी हुआ: तो उसे दुनिया में सम्मान और आख़िरत में बड़ा इनाम मिलेगा।
      इस तरह, एक मोमिन के लिए हार-जीत का कोई डर नहीं रह जाता।

मुख्य शिक्षा: एक मोमिन का लक्ष्य दुनिया की सांसारिक सफलता नहीं, बल्कि अल्लाह की रज़ा और आख़िरत का सुख है। वह हर कुर्बानी को एक लाभदायक निवेश के रूप में देखता है, और उसे सफलता-असफलता के डर से मुक्ति मिल जाती है।


अतीत, वर्तमान और भविष्य के सन्दर्भ में प्रासंगिकता (Relevance to Past, Present and Future)

1. अतीत में प्रासंगिकता (Past Context):

यह आयत पैगंबर (स.अ.व.) के सहाबा के लिए एक शक्तिशाली प्रेरणा थी, जिन्होंने इस्लाम के लिए अपना घर-बार, धन-दौलत और यहाँ तक कि अपनी जान भी कुरबान कर दी। यह आयत उन्हें आश्वासन देती थी कि उनकी कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी और चाहे वे शहीद हो जाएँ या जीतें, उन्हें अल्लाह का "अज्रुन अज़ीम" (महान पुरस्कार) अवश्य मिलेगा।

2. वर्तमान में प्रासंगिकता (Contemporary Relevance):

आज के समय में इस आयत का दायरा केवल शारीरिक जिहाद तक सीमित नहीं है। इसके व्यापक उपयोग हैं:

  • आध्यात्मिक जिहाद: अपनी बुरी आदतों, गलत इच्छाओं और शैतानी प्रलोभनों के खिलाफ लड़ाई। जब कोई व्यक्ति अपनी नींद, आराम, या गलत संगत को छोड़कर अल्लाह की इबादत के लिए उठता है, तो वह भी "दुनिया को आख़िरत के बदले बेचने" जैसा है।

  • सिद्धांतों की लड़ाई: अपने ईमान, हिजाब, दाढ़ी, या धार्मिक पहचान पर दुनिया की तानों, नौकरी के खतरे, या सामाजिक बहिष्कार को झेलना। जब कोई इन चीजों के लिए दुनिया की परेशानियाँ उठाता है, तो वह इस आयत का जीवंत उदाहरण बन जाता है।

  • समाज सुधार: बुराई के खिलाफ आवाज उठाना, भ्रष्टाचार का विरोध करना - ये सभी आज के जिहाद के रूप हैं, जिनमें इंसान को अपनी सुविधा, लोकप्रियता या यहाँ तक कि जान का जोखिम उठाना पड़ सकता है।

3. भविष्य के लिए सन्देश (Message for the Future):

यह आयत भविष्य की सभी पीढ़ियों के लिए एक स्थायी प्रेरणा स्रोत है:

  • आशा और निडरता: भविष्य की चुनौतियाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, यह आयत हर मोमिन को यह विश्वास देगी कि अल्लाह की राह में की गई कोई भी कुर्बानी बेकार नहीं जाती। यह विश्वास उसे हर तरह के डर और निराशा से मुक्त कर देगा।

  • जीवन का दर्शन: यह आयत भविष्य के मुसलमानों को एक स्पष्ट जीवन दर्शन देगी - दुनिया एक सौदा है, और हमें इसे आख़िरत के लिए खर्च करना है। यह दृष्टिकोण उनके हर फैसले को प्रभावित करेगा।

  • बलिदान की भावना: जब तक दुनिया रहेगी, इस्लाम और मुसलमानों की परीक्षा ली जाती रहेगी। यह आयत भविष्य के मुसलमानों में वह बलिदान की भावना जगाए रखेगी जो उन्हें हर संकट का सामना करने के लिए तैयार करेगी।

निष्कर्ष (Conclusion):
कुरआन की यह आयत हर मोमिन के दिल में एक जुनून पैदा करती है। यह हमें सिखाती है कि सच्ची सफलता दुनिया का ऐश्वर्य जमा करने में नहीं, बल्कि अल्लाह की राह में अपना सब कुछ लगा देने में है। चाहे हमारी कुर्बानी का नतीजा दुनिया में दिखे या न दिखे, अल्लाह का "अज्रुन अज़ीम" हमारा इंतजार कर रहा है। यही वह विश्वास है जो एक साधारण इंसान को भी एक महान शहीद बना सकता है।