﴿مَّا أَصَابَكَ مِنْ حَسَنَةٍ فَمِنَ اللَّهِ ۖ وَمَا أَصَابَكَ مِن سَيِّئَةٍ فَمِن نَّفْسِكَ ۚ وَأَرْسَلْنَاكَ لِلنَّاسِ رَسُولًا ۚ وَكَفَىٰ بِاللَّهِ شَهِيدًا﴾
(अरबी आयत)
शब्दार्थ (Meaning of Words):
مَّا أَصَابَكَ: जो कुछ भी पहुँचे तुम्हें
مِنْ حَسَنَةٍ: कोई भलाई (लाभ, सुख, सफलता)
فَمِنَ اللَّهِ: तो अल्लाह की तरफ से है
وَمَا أَصَابَكَ: और जो कुछ भी पहुँचे तुम्हें
مِن سَيِّئَةٍ: कोई बुराई (हानि, दुख, परेशानी)
فَمِن نَّفْسِكَ: तो तुम्हारी अपनी ही तरफ से है
وَأَرْسَلْنَاكَ: और हमने तुम्हें भेजा है
لِلنَّاسِ رَسُولًا: लोगों के लिए पैगंबर बनाकर
وَكَفَىٰ بِاللَّهِ شَهِيدًا: और अल्लाह गवाह के रूप में काफी है
सरल अर्थ (Simple Meaning):
"(हे इंसान!) जो कुछ भी भलाई तुम्हें मिलती है, वह अल्लाह की तरफ से है, और जो कुछ भी बुराई तुम्हें मिलती है, वह तुम्हारी अपनी ही तरफ से है। और (हे पैगंबर!) हमने तुम्हें लोगों के लिए पैगंबर बनाकर भेजा है, और अल्लाह गवाह के रूप में काफी है।"
आयत का सन्देश और शिक्षा (Lesson from the Verse):
यह आयत मानव जीवन में अच्छाई और बुराई के स्रोत को स्पष्ट करती है और एक गहरा दार्शनिक सिद्धांत प्रस्तुत करती है:
भलाई का स्रोत: इस ब्रह्मांड की हर अच्छाई, हर आशीर्वाद, हर सुख और सफलता का एकमात्र स्रोत अल्लाह है। यह उसकी दया और कृपा का प्रतीक है।
बुराई का कारण: इंसान को जो भी कठिनाई, दुख या मुसीबत मिलती है, उसका मूल कारण उसकी अपनी गलतियाँ, पाप और अवज्ञा है। इंसान स्वयं ही अपने लिए मुसीबतों को आमंत्रित करता है।
पैगंबर का उद्देश्य: पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) को संपूर्ण मानवजाति के लिए मार्गदर्शक बनाकर भेजा गया है, ताकि वे लोगों को अच्छाई के रास्ते और बुराई से बचने के तरीके बता सकें।
अल्लाह की गवाही: अल्लाह इस बात का सर्वश्रेष्ठ गवाह है कि उसने अपना संदेश मानवजाति तक पहुँचा दिया है। अब किसी के पास कोई बहाना नहीं रह जाता।
मुख्य शिक्षा: एक मोमिन को हमेशा अच्छाई मिलने पर अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिए और बुराई मिलने पर अपने अंदर झाँककर देखना चाहिए कि उसने कौन-सी गलती की है। साथ ही, पैगंबर (स.अ.व.) के मार्गदर्शन को अपनाकर ही इंसान बुराइयों से बच सकता है और अल्लाह की कृपा प्राप्त कर सकता है।
अतीत, वर्तमान और भविष्य के सन्दर्भ में प्रासंगिकता (Relevance to Past, Present and Future)
1. अतीत में प्रासंगिकता (Past Context):
यह आयत उन लोगों के जवाब में उतरी थी जो मुसीबत आने पर पैगंबर (स.अ.व.) को दोष देते थे। आयत ने स्पष्ट किया कि तुम्हारी मुसीबतों का कारण तुम्हारे अपने कर्म हैं, पैगंबर नहीं। पैगंबर तो तुम्हें बचाने आए हैं। साथ ही, यह आयत पैगंबर (स.अ.व.) के रिसालत (पैगंबरी) के सार्वभौमिक स्वरूप को स्थापित करती है।
2. वर्तमान में प्रासंगिकता (Contemporary Relevance):
आज के समय में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:
शुक्र और सब्र का संतुलन: आज का इंसान सुख मिलने पर खुद को समझता है और दुख मिलने पर अल्लाह को कोसता है। यह आयत सिखाती है कि सुख में अल्लाह का शुक्र करो और दुख में अपने कर्मों पर विचार करो।
व्यक्तिगत जिम्मेदारी: आधुनिक समाज में लोग हर समस्या के लिए दूसरों को दोष देते हैं - सरकार, समाज, माता-पिता, परिस्थितियाँ। यह आयत हमें व्यक्तिगत जिम्मेदारी सिखाती है कि हमारी अधिकांश समस्याएँ हमारे अपने फैसलों और कर्मों का नतीजा हैं।
पैगंबर की आवश्यकता: जब इंसान अपनी गलतियों से पैदा हुई मुसीबतों में फँसता है, तो उसे एक मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है। यह आयत बताती है कि पैगंबर (स.अ.व.) का मार्गदर्शन ही उसे इन मुसीबतों से निकाल सकता है।
3. भविष्य के लिए सन्देश (Message for the Future):
यह आयत भविष्य की सभी पीढ़ियों के लिए एक स्थायी मार्गदर्शक सिद्धांत है:
आत्म-मंथन की प्रेरणा: भविष्य की चुनौतियाँ चाहे कितनी भी जटिल हों, यह आयत हर इंसान को आत्म-मंथन करने की प्रेरणा देगी। समस्याओं का समाधान बाहर ढूँढने के बजाय अपने अंदर ढूँढने का साहस देगी।
कुरआन और सुन्नत की प्रासंगिकता: जब तक इंसान गलतियाँ करता रहेगा, तब तक उसे पैगंबर (स.अ.व.) के मार्गदर्शन की आवश्यकता रहेगी। यह आयत भविष्य के लोगों को कुरआन और सुन्नत की ओर मोड़ती रहेगी।
आशा का संदेश: यह आयत बताती है कि मुसीबतों का दरवाजा इंसान खुद खोलता है, और अच्छाइयों का दरवाजा अल्लाह खोलता है। यह ज्ञान इंसान को निराशा से बचाएगा और उसे सही दिशा में प्रयास करने के लिए प्रेरित करेगा।
निष्कर्ष (Conclusion):
कुरआन की यह आयत हमें जीवन का एक संतुलित दृष्टिकोण देती है। यह हमें सिखाती है कि अल्लाह की दया हमें हर पल घेरे रहती है, और हमारी मुसीबतों का कारण हमारी अपनी गलतियाँ हैं। इसलिए, हमें हमेशा अल्लाह का शुक्रिया अदा करते रहना चाहिए और पैगंबर (स.अ.व.) के बताए रास्ते पर चलकर अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास करना चाहिए। यही सच्ची सफलता का रास्ता है।