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कुरआन की आयत 5:3 की पूर्ण व्याख्या

 

﴿حُرِّمَتْ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةُ وَالدَّمُ وَلَحْمُ الْخِنزِيرِ وَمَا أُهِلَّ لِغَيْرِ اللَّهِ بِهِ وَالْمُنْخَنِقَةُ وَالْمَوْقُوذَةُ وَالْمُتَرَدِّيَةُ وَالنَّطِيحَةُ وَمَا أَكَلَ السَّبُعُ إِلَّا مَا ذَكَّيْتُمْ وَمَا ذُبِحَ عَلَى النُّصُبِ وَأَن تَسْتَقْسِمُوا بِالْأَزْلَامِ ۚ ذَٰلِكُمْ فِسْقٌ ۗ الْيَوْمَ يَئِسَ الَّذِينَ كَفَرُوا مِن دِينِكُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَاخْشَوْنِ ۚ الْيَوْمَ أَكْمَلْتُ لَكُمْ دِينَكُمْ وَأَتْمَمْتُ عَلَيْكُمْ نِعْمَتِي وَرَضِيتُ لَكُمُ الْإِسْلَامَ دِينًا ۚ فَمَنِ اضْطُرَّ فِي مَخْمَصَةٍ غَيْرَ مُتَجَانِفٍ لِّإِثْمٍ ۙ فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ﴾

(सूरह अल-माइदा, आयत नंबर 3)


अरबी शब्दों के अर्थ (Word-by-Word Meaning)

पहला भाग: हराम (वर्जित) चीज़ें

  • حُرِّمَتْ: हराम (वर्जित) की गई हैं।

  • عَلَيْكُم: तुम पर।

  • الْمَيْتَةُ: मुर्दार (बिना ज़बह किया मरा हुआ जानवर)।

  • وَالدَّمُ: और (बहता हुआ) खून।

  • وَلَحْمُ الْخِنزِيرِ: और सुअर का मांस।

  • وَمَا أُهِلَّ لِغَيْرِ اللَّهِ بِهِ: और वह (जानवर) जिस पर अल्ला के अलावा (किसी और) का नाम लिया गया हो।

  • وَالْمُنْخَنِقَةُ: और वह जानवर जो घुट कर मर गया हो।

  • وَالْمَوْقُوذَةُ: और वह जानवर जिसे कुट्टे से मार दिया गया हो।

  • وَالْمُتَرَدِّيَةُ: और वह जानवर जो ऊंचाई से गिर कर मर गया हो।

  • وَالنَّطِيحَةُ: और वह जानवर जिसे किसी दूसरे जानवर ने सींग मारकर मार दिया हो।

  • وَمَا أَكَلَ السَّبُعُ: और वह जानवर जिसे किसी हिंसक जानवर ने (शिकार करके) खा लिया हो।

  • إِلَّا مَا ذَكَّيْتُمْ: सिवाय उस (जानवर) के जिसे तुमने (हलाल तरीके से) ज़बह कर दिया (इससे पहले कि वह मर जाए)।

  • وَمَا ذُبِحَ عَلَى النُّصُبِ: और वह (जानवर) जो मूर्तियों (बुतों) पर ज़बह किया गया हो।

  • وَأَن تَسْتَقْسِمُوا بِالْأَزْلَامِ: और यह कि तुम पाँसों (जुआ/भविष्यफल) के द्वारा फैसला लो।

  • ذَٰلِكُمْ فِسْقٌ: यह सब (बातें) अवज्ञा (पाप/नाफ़रमानी) हैं।

दूसरा भाग: महान घोषणा

  • الْيَوْمَ: आज (के दिन)।

  • يَئِسَ: निराश हो गए।

  • الَّذِينَ كَفَرُوا: जिन लोगों ने इनकार किया।

  • مِن دِينِكُمْ: तुम्हारे दीन (धर्म/जीवन-पद्धति) से।

  • فَلَا تَخْشَوْهُمْ: तो तुम उनसे मत डरो।

  • وَاخْشَوْنِ: और (सिर्फ) मुझसे डरो।

  • الْيَوْمَ: आज (के दिन)।

  • أَكْمَلْتُ: मैंने पूरा कर दिया।

  • لَكُمْ: तुम्हारे लिए।

  • دِينَكُمْ: तुम्हारा दीन।

  • وَأَتْمَمْتُ: और मैंने पूरी कर दी।

  • عَلَيْكُمْ: तुम पर।

  • نِعْمَتِي: मेरी नेमत (अनुग्रह)।

  • وَرَضِيتُ: और मैंने पसंद किया।

  • لَكُمُ: तुम्हारे लिए।

  • الْإِسْلَامَ: इस्लाम को।

  • دِينًا: दीन (जीवन-पद्धति) के रूप में।

तीसरा भाग: विशेष परिस्थिति में छूट

  • فَمَنِ اضْطُرَّ: फिर जो व्यक्ति मजबूर हो जाए।

  • فِي مَخْمَصَةٍ: भूख (की अवस्था) में।

  • غَيْرَ مُتَجَانِفٍ: बिना झुकाव के (इरादे से न हो)।

  • لِّإِثْمٍ: गुनाह (की तरफ)।

  • فَإِنَّ اللَّهَ: तो बेशक अल्लाह।

  • غَفُورٌ: बड़ा क्षमा करने वाला है।

  • رَّحِيمٌ: बड़ा दयावान है।


पूरी आयत का अर्थ (Full Translation in Hindi)

"तुम पर (निम्नलिखित चीज़ें) हराम की गई हैं: मुर्दार, (बहता हुआ) खून, सुअर का मांस, वह (जानवर) जिस पर अल्लाह के अलावा किसी और का नाम लिया गया हो, वह जानवर जो घुट कर मर गया हो, वह जो कुट्टे से मारा गया हो, वह जो ऊँचाई से गिर कर मर गया हो, वह जिसे किसी दूसरे जानवर ने सींग मारकर मार दिया हो, और वह जिसे किसी हिंसक जानवर ने खा लिया हो - सिवाय उसके जिसे तुमने (हलाल तरीके से) ज़बह कर दिया (इससे पहले कि वह मर जाए) - और वह (जानवर) जो मूर्तियों (बुतों) पर ज़बह किया गया हो, और यह कि तुम पाँसों (जुआ) के द्वारा फैसला लो। यह सब अवज्ञा (पाप) है। आज जिन लोगों ने इनकार किया है, वे तुम्हारे दीन से निराश हो गए हैं। अतः तुम उनसे मत डरो और केवल मुझसे डरो। आज मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारे दीन को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत पूरी कर दी और तुम्हारे लिए इस्लाम को दीन (जीवन-पद्धति) के रूप में पसंद कर लिया। फिर जो व्यक्ति भूख की हालत में मजबूर हो जाए, बिना इस इरादे के कि गुनाह करे, तो निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।"


विस्तृत व्याख्या (Full Explanation in Hindi)

यह आयत इस्लामी इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण आयतों में से एक है, जिसमें तीन मुख्य भाग हैं:

1. हलाल और हराम का स्पष्टीकरण (Clarification of Halal and Haram):

  • यह आयत उन सभी चीज़ों की स्पष्ट सूची प्रस्तुत करती है जिन्हें खाना हराम है। इन सभी का संबंध स्वास्थ्य, नैतिकता और एकेश्वरवाद से है।

    • स्वास्थ्य कारण: मुर्दार, खून, दम घुटने या चोट से मरे जानवरों में हानिकारक बैक्टीरिया और विषाक्त पदार्थ होते हैं। सुअर का मांस कई बीमारियों का वाहक है।

    • आध्यात्मिक कारण: अल्लाह के अलावा किसी और के नाम पर ज़बह किया गया जानवर शिर्क (अल्लाह के साथ साझीदार ठहराने) का प्रतीक है। यह इस्लाम की मूलभूत शिक्षा के विपरीत है।

    • नैतिक कारण: जुआ (अज़लाम) समाज को बर्बाद करने वाली बुराई है।

2. दीन की पूर्णता की ऐतिहासिक घोषणा (The Historic Declaration of Completion of Deen):

  • यह भाग हज्जतुल विदा (विदाई हज) के दौरान अरफात के मैदान में उतरा। यह इस्लाम के पूर्ण होने की घोषणा है।

    • "आज काफिर तुम्हारे दीन से निराश हो गए": इसका अर्थ है कि अब उनकी यह उम्मीद खत्म हो गई कि यह दीन कमज़ोर पड़ जाएगा या खत्म हो जाएगा।

    • "मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन पूरा कर दिया": इस्लाम का कोड ऑफ लाइफ (जीवन का नियम) पूरा हो गया। इसमें किसी भी प्रकार की कमी या वृद्धि की आवश्यकता नहीं है।

    • "मैंने तुम पर अपनी नेमत पूरी कर दी": सबसे बड़ी नेमत 'हिदायत' (मार्गदर्शन) की नेमत है।

    • "मैंने तुम्हारे लिए इस्लाम को दीन के रूप में पसंद किया": अल्लाह ने फैसला सुना दिया कि मनुष्य के लिए उसकी जीवन-पद्धति केवल और केवल इस्लाम है।

3. आवश्यकता के समय में राहत (Relief in Times of Necessity):

  • इस्लाम कठोरता का धर्म नहीं है। अगर कोई व्यक्ति इतनी भूखा हो कि उसकी जान को खतरा हो और हलाल का कोई साधन न मिले, तो उसे उतनी मात्रा में हराम चीज़ खाने की इजाजत है जिससे उसकी जान बच जाए। शर्त यह है कि उसका झुकाव गुनाह की तरफ न हो, यानी वह मजबूरी में खा रहा हो, मनपसंद नहीं।


सीख और शिक्षा (Lesson and Moral)

  1. अल्लाह की सर्वोच्चता: हलाल और हराम का फैसला करने का अधिकार केवल अल्लाह का है। मनुष्य अपनी मर्जी से किसी चीज़ को हलाल या हराम नहीं ठहरा सकता।

  2. शुद्धता और स्वास्थ्य: इस्लाम शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की शुद्धता पर जोर देता है। हराम चीज़ें शरीर और आत्मा दोनों के लिए हानिकारक हैं।

  3. धर्म की पूर्णता: एक मुसलमान का यह विश्वास होना चाहिए कि इस्लाम एक पूर्ण जीवन-पद्धति है और इसमें किसी भी प्रकार के सुधार या बदलाव की आवश्यकता नहीं है।

  4. लचीलापन और सहजता: इस्लाम में मजबूरी की स्थिति में छूट है। यह दर्शाता है कि यह धर्म व्यावहारिक है और मनुष्य की कठिनाइयों को समझता है।


प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevancy: Past, Contemporary Present and Future)

1. अतीत में प्रासंगिकता (Relevancy in the Past):

  • जाहिलिय्याह की प्रथाएँ: अरब के लोग मुर्दार जानवर खाते थे, मूर्तियों के नाम पर जानवर ज़बह करते थे और जुआ खेलते थे। इस आयत ने इन सभी गंदी और अवैज्ञानिक प्रथाओं को समाप्त कर दिया और एक स्वच्छ व स्वस्थ समाज की नींव रखी।

  • विदाई हज का ऐतिहासिक संदर्भ: यह आयत पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) के अंतिम हज के दौरान उतरी, जो कि इस्लामी शरीयत के पूरा होने का प्रतीक था। यह ईश्वरीय मार्गदर्शन के अंत का संकेत था।

2. वर्तमान समय में प्रासंगिकता (Relevancy in the Contemporary Present):

  • आधुनिक खाद्य उद्योग: आज के जमाने में प्रोसेस्ड फूड, जेलाटिन, एडिटिव्स और मांस उत्पादों में हराम तत्वों की मिलावट एक बड़ी चुनौती है। यह आयत मुसलमानों को अपने भोजन की जाँच करने और हलाल खाने के प्रति सजग रहने का आदेश देती है।

  • स्वास्थ्य जागरूकता: आधुनिक विज्ञान ने सुअर के मांस और मुर्दार में पाए जाने वाले हानिकारक कीटाणुओं और बीमारियों की पुष्टि की है, जिससे इस आयत की वैज्ञानिक समझदारी सामने आती है।

  • पहचान और अखंडता: "दीन की पूर्णता" का सिद्धांत आज के मुसलमानों को यह आत्मविश्वास देता है कि उनके पास जीवन की हर समस्या का समाधान मौजूद है। यह उन्हें धर्म के नाम पर होने वाले गलत व्याख्याओं और अतिवाद से बचाता है।

3. भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy in the Future):

  • लैब-ग्रोन मीट और AI: भविष्य में जैव-प्रौद्योगिकी (Biotechnology) द्वारा लैब में मांस तैयार करने या आनुवंशिक रूप से संशोधित जानवरों के मामले में, यह आयत मूल सिद्धांत प्रदान करेगी। कोई भी नई चीज़ हलाल तभी होगी जब वह इन आयतों में बताई गई हराम की श्रेणियों में न आती हो।

  • वैश्विक खाद्य आपूर्ति: भविष्य में खाद्य संकट की स्थिति में, आयत का "मजबूरी का नियम" मुसलमानों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत होगा, जो उन्हें अकाल या संकट के समय उचित निर्णय लेने में मदद करेगा।

  • स्थायी मार्गदर्शन: जब तक दुनिया रहेगी, यह आयत मानवता के लिए हलाल और हराम, धर्म की पूर्णता और ईश्वरीय दया के सिद्धांतों का एक स्थायी और अटल स्रोत बनी रहेगी। यह भविष्य की हर चुनौती का सामना करने के लिए एक मजबूत नींव प्रदान करती है।

निष्कर्ष: सूरह अल-माइदा की यह आयत केवल खाने-पीने के नियमों से परे है। यह इस्लाम की पूर्णता और अल्लाह की दया की एक ऐतिहासिक घोषणा है, जो हर युग में मुसलमानों के लिए मार्गदर्शन, आत्मविश्वास और राहत का स्रोत है।